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Extra Marital Affairs : मर्मांतक घटना…! मेरे बुग्गू ने खाना खाया…बुग्गू लव यू…अन्य महिला से पति के इस Whatsapp चैट को पढ़कर नहीं कर पाई सहन…14 साल के वैवाहिक जीवन का इतिश्री

कानपुर, 19 सितंबर Extra Marital Affairs : एक मर्मांतक मामला नौबस्ता थाना क्षेत्र के राजीव नगर से सामने आया है, जहां पति की दूसरी महिलाओं से अवैध चैटिंग से आहत होकर एक शादीशुदा महिला ने ज़हर खा लिया, जिससे उसकी मौत हो गई। एक ओर जहां विवाह को जीवनभर के साथ और विश्वास का प्रतीक माना जाता है, वहीं दूसरी ओर आजकल एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स जैसी घटनाएं पारिवारिक ढांचे को तोड़ रही हैं।

ये है मामला

राजीव नगर निवासी मुकेश दुबे, जो एक पेंसिल कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत है, की शादी करीब 14 साल पहले राधा देवी (उम्र 38 वर्ष) से हुई थी। इस दंपति के दो बच्चे भी हैं। परिजनों का आरोप है कि मुकेश के कई महिलाओं से संबंध थे, जिसकी जानकारी राधा देवी को पति के मोबाइल से हुई चैटिंग से मिली।

तोड़ गए भरोसा

पीड़िता के भाई योगेश तिवारी के अनुसार, राधा ने पति के मोबाइल में रोमांटिक चैटिंग पढ़ ली थी, जिसमें वह किसी महिला को “बुग्गू लव यू”, “मेरे बुग्गू ने खाना खाया क्या?” जैसे मैसेज भेज रहा था। ये मैसेज पढ़कर राधा देवी स्तब्ध रह गईं और पति से जवाब मांगा।

लेकिन जवाब देने के बजाय, पति ने उसके साथ मारपीट की, जिससे वह मानसिक रूप से टूट गई। आहत होकर राधा देवी ने ज़हरीला पदार्थ खा लिया।

इलाज से पहले ही तोड़ दिया दम

राधा की बेटी ने फोन पर ननिहाल में सूचना दी, जिसके बाद परिजन उसे तत्काल निजी अस्पताल ले गए। हालत गंभीर होने के चलते उसे कई अस्पतालों ने रेफर कर दिया। अंततः सीसीआर हॉस्पिटल में डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

कानूनी कार्रवाई की मांग

परिजनों ने मुकेश दुबे के खिलाफ नौबस्ता थाने में तहरीर दी है। उन्होंने आरोप लगाया कि मुकेश के पहले से कई महिलाओं से संबंध थे और राधा देवी लगातार इसका विरोध कर रही थीं। कई बार समझाने के बावजूद मुकेश ने अपनी आदतें नहीं बदलीं।

पुलिस का कहना है कि मामला संवेदनशील है, और डिजिटल फॉरेंसिक जांच के माध्यम से मोबाइल चैटिंग की वास्तविकता की पुष्टि की जाएगी। इसके साथ ही मृतका के परिजनों के बयान लेकर आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

समाज के लिए संदेश

यह मामला न केवल एक पारिवारिक टूटन (Extra Marital Affairs) की त्रासदी है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि डिजिटल विश्वासघात भी उतना ही घातक हो सकता है जितना कि वास्तविक धोखा। ऐसे मामलों में संवाद और काउंसलिंग जरूरी है, जिससे ज़िंदगियां बचाई जा सकें।

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