अंतरराष्ट्रीय

Hambantota Port : श्रीलंका ने अपने बंदरगाह पर आने के लिए चीनी पोत को दी अनुमति

रायपुर, 13 अगस्त। Hambantota Port : चीनी शोध पोत युआन वांग 5 को श्रीलंका सरकार ने हंबनटोटा बंदरगाह पर आने की अनुमति दे दी है। श्रीलंका के बंदरगाह मास्टर निर्मल पी सिल्वा ने अब कहा है कि उन्हें 16 से 22 अगस्त तक हंबनटोटा में जहाज को बुलाने के लिए विदेश मंत्रालय की मंजूरी मिल गई है। 

भारत सरकार ने इस उच्च तकनीकी से लैस शोध पोत को लेकर चिंता व्यक्त की थी कि जहाज भारत के खिलाफ जासूसी कर सकता है। इसे लेकर भारत ने कोलंबो में शिकायत भी दर्ज कराई थी। अधिकारियों ने कहा कि द्वीप राष्ट्र की सरकार ने पड़ोसी भारत की चिंताओं के बाद भी चीनी शोध पोत को द्वीप पर जाने की अनुमति दी।

भारत की ये है चिंता

अंतरराष्ट्रीय शिपिंग और एनालिटिक्स साइटों (Hambantota Port) पर युआन वांग 5 को एक शोध और सर्वेक्षण पोत बताया गया है, लेकिन भारतीय मीडिया का कहना है कि यह एक दोहरे उपयोग वाला जासूसी जहाज है। भारत की चिंता है कि चीन हिंद महासागर श्रीलंका में अपना प्रभाव बढ़ाने की फिराक में है। भारत की एक चिंता ये भी है कि चीन, श्री लंका में इस जहाज के जरिए भारत के सैन्य संस्थानों की जासूसी करने की फिराक में है। इन्ही सब कारणों के चलते भारत ने कोलंबो से चीनी पोत युआन वांग 5 को हंबनटोटा की यात्रा करने की अनुमति ना देने के लिए आग्रह किया था। 

चीन के आरोपों को भारत ने किया खारिज

गौरतलब है कि भारत ने शुक्रवार को चीन के उन आरोपों को भी खारिज कर दिया जिसमें उसने कहा था कि नई दिल्ली ने कोलंबो पर चीनी शोध पोत के हंबनटोटा बंदरगाह की यात्रा को रोकने के लिए दबाव डाला। 

सोमवार को चीनी विदेश मंत्रालय ने भारत की ओर इशारा करते हुए कहा कि कुछ देशों के लिए श्रीलंका पर दबाव बनाने के लिए तथाकथित सुरक्षा चिंताओं का हवाला देना पूरी तरह से अनुचित है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि चूंकि श्रीलंका आर्थिक और राजनीतिक कठिनाइयों से जूझ रहा है, श्रीलंका के सामान्य आदान-प्रदान और अन्य देशों के साथ सहयोग में हस्तक्षेप करना उसकी कमजोरी का फायदा उठाना है, जो नैतिक रूप से गैर-जिम्मेदार है और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को नियंत्रित करने वाले बुनियादी मानदंडों के खिलाफ है।   

विदेश मंत्रालय ने फिर से दी मंजूरी

कोलंबो ने बीजिंग को भारत की आपत्तियों के बाद अनिश्चित काल के लिए यात्रा स्थगित करने के लिए कहा था, लेकिन श्रीलंका के बंदरगाह मास्टर निर्मल पी सिल्वा ने अब कहा है कि उन्हें 16 से 22 अगस्त तक हंबनटोटा में जहाज को बुलाने के लिए विदेश मंत्रालय की मंजूरी मिल गई है।

मीडिया रिपोर्टस् के मुताबिक, सिल्वा ने बताया कि आज मुझे राजनयिक मंजूरी मिली। हम बंदरगाह पर रसद सुनिश्चित करने के लिए जहाज द्वारा नियुक्त स्थानीय एजेंट के साथ काम करेंगे। गौरतलब है कि चीनी बैलिस्टिक मिसाइल और उपग्रह ट्रैकिंग जहाज ‘युआन वांग 5’ को गुरुवार को पहुंचना था और 17 अगस्त तक बंदरगाह पर रहना था। श्रीलंका पोर्ट्स अथॉरिटी (एसएलपीए) के हार्बर मास्टर ने कहा कि जहाज योजना के मुताबिक बंदरगाह पर नहीं पहुंचा। स्थानीय अधिकारियों ने कहा कि जहाज को हंबनटोटा के पूर्व में 620 समुद्री मील दूर है और धीरे-धीरे बंदरगाह की ओर बढ़ रहा है। 

श्रीलंका ने 12 जुलाई की दी थी मंजूरी 

12 जुलाई को श्रीलंका के विदेश मंत्रालय (Hambantota Port) ने हंबनटोटा बंदरगाह पर जहाज के डॉकिंग के लिए मंजूरी दी थी। 8 अगस्त को मंत्रालय ने कोलंबो में चीनी दूतावास को लिखे एक पत्र में जहाज के नियोजित डॉकिंग को स्थगित करने का अनुरोध किया था। हालांकि, इसने इस तरह के अनुरोध का कारण नहीं बताया। ‘युआन वांग 5’ उस समय तक हिंद महासागर में प्रवेश कर चुका था। श्रीलंका ने स्थगन का अनुरोध तब किया जब भारत सरकार ने सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए इस पर कड़ी आपत्ति जताई थी। एसएलपीए ने कहा कि हालांकि एक चीनी कंपनी के पास हंबनटोटा बंदरगाह का प्रभार है, लेकिन नेविगेशन और परिचालन संबंधी मामले वह खुद नियंत्रित कर रहा है। 

Related Articles

Check Also
Close
Back to top button