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Handmade Jewelery : दिव्यांग गिरजा ने हिम्मत और हुनर से पाई सफलता

रायपुर, 2 जुलाई। Handmade Jewelery : हिम्मत और हुनर का साथ हो तो कोई अक्षमता सफलता में बाधा नहीं बनती है, यह साबित किया है रायपुर की अस्थिबाधित दिव्यांग गिरजा जलक्षत्री ने।

आत्मनिर्भरता की मिसाल की कायम

चालीस प्रतिशत (Handmade Jewelery) अस्थि बाधा से पीड़ित गिरजा ने अपनी दिव्यांगता को पीछे छोड़ते हुए आत्मनिर्भरता की मिसाल कायम की है। आज वह न सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक और फोटो फ्रेमिंग का काम करती हैं, बल्कि कई बेसहारा दिव्यांगों को ज्वेलरी डिजाइनिंग सिखा कर उनके स्वावलंबन की राह तैयार कर रही हैं। उनके अधीन 20 दिव्यांग हैण्डमेड ज्वेलरी का प्रशिक्षण ले रही हैं। इनमें 5 पुरूष और 15 महिलाएं हैं। श्रीमती गिरजा द्वारा दिव्यांगजन के स्वावलंबन के दिशा में किए जा रहे काम के कारण उन्हें दिल्ली की संस्था द्वारा डॉ. सुब्रमणयम आवार्ड और एक लाख रूपये से सम्मानित किया गया है।

लोन लेकर खोली दुकानएक समय गिरजा 12वीं तक पढ़ाई करने के बाद भी बेरोजगार थी। उनके पास हुनर था लेकिन काम शुरू करने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं थे। इस दौरान उन्हें समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित छत्तीसगढ़ निःशक्तजन वित्त एवं विकास निगम के बारे में पता चला जो दिव्यांग व्यक्तियों को स्वरोजगार के लिए ऋण उपलब्ध कराती है।

लोन लेकर खोली दुकान

गिरजा ने निगम में 2 लाख 7 हजार रूपए के ऋण के लिए आवेदन किया। लोन स्वीकृति के बाद उन्होंने इलेक्ट्रिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक और फोटो फ्रेमिंग के साथ हैंडमेड ज्वेलरी का काम शुरू किया। आज वह आत्मनिर्भर हैं और अपने परिवार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है। वह अपने पति और बेटे के साथ खुशहाल जीवन बिता रही हैं। उन्होंने निगम द्वारा स्वीकृत पहली ऋण राशि की सफलता पूर्वक अदायगी कर दी है। अपने व्यवसाय को विस्तार देने के लिए उन्होंने अब वर्ष 2022-23 में 8 लाख रूपए का ऋण प्रस्ताव फिर से भेजा है।

दुकान की आय की बचत राशि से वह अपने घर पर ही दिव्यांगों को ज्वेलरी डिजायनिंग (Handmade Jewelery) का प्रशिक्षण दे रही हैं। वह रेशमी धागे से आर्टिफीशियल ज्वेलरी निर्माण, धान से गले का सेट तथा झुमका निर्माण, निरमा साबुन फिनाईल, मसाला निर्माण का प्रशिक्षण कुशलता से देती हैं। इससे दिव्यांग हुनरमंद के साथ आत्मनिर्भर भी बन सकेंगे।

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