छत्तीसगढ

Hareli Special Article : हरेली से विकास की नई इबारत गढ़ता छत्तीसगढ़

रायपुर, 28 जुलाई। Hareli Special Article : छत्तीसगढ़ की आत्मा में समाहित हरेली त्यौहार की ताजगी आज और बढ़ गई है। इसका श्रेय प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार को जाता है।

हरेली हमारे छत्तीसगढ़ राज्य का एक क्षेत्रीय त्यौहार होने के साथ-साथ छत्तीसगढ़ की पहचान भी है। हरेली त्यौहार प्रकृति के प्रति प्रेम और समर्पण का भाव पैदा करती है।

छत्तीसगढ़ सरकार ने अपने जमीन से जुड़े इस त्यौहार को लेकर जिस तरह ‘ गोधन न्याय योजना ‘ और ‘ नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी ‘ जैसी योजनाओं का शुभारंभ किया है वह अभूतपूर्व है।

आज ही के दिन 2 साल पहले ‘ गोधन न्याय योजना ‘ की शुरुआत की गई जो गांवों के विकास में आज सबसे ज्यादा कारगर साबित हो रही है।

हरेली छत्तीसगढ़ के किसानों की पहली त्यौहार है जिसमें प्रदेश (Hareli Special Article) के सभी किसान भाई अपने खेती के उपयोग में लाई जाने वाली हल, कुल्हाड़ी, हंसिया, गैती और फावड़ा जैसे अन्य उपकरणों की पूजा करते हैं।

हरेली त्यौहार के दिन ही छत्तीसगढ़ के हर गांव और हर घर में सबका पसंदीदा पकवान चिला बनाया जाता  है जिसका एक खास महत्व भी है। चावल आटे से बना चिला और नारियल का भोग लगाकर किसान उसे अपने खेतों में भी चढ़ाते हैं, ताकि उनके नए वर्ष का फसल लहलहाता हुआ सबके जीवन को एक नई ऊष्मा और आभा से भर दे।

हरेली त्यौहार जैसे शुभ पर्व के दिन गांव के बच्चे गेड़ी में चढ़कर अपने प्रकृति देवता के प्रति धन्यवाद करते हुए इसका आंनद लेते हैं।

हरेली का आशय हरियाली से है और यही कारण है कि आज भी छत्तीसगढ़वासी अपने इस संस्कृति के प्रति बेहद लगाव रखते हैं और इसे बचाए रखना जैसे उनके लिए अपनी आत्मा को बचाए रखना है।

हरेली के इस सबसे सुंदर पर्व को लेकर 5हजार महिला स्व सहायता जैसे विशाल समूह से महिलाओं को जोड़ने वाली हमारे प्रदेश की गौरव पद्मश्री श्रीमती शमशाद बेगम से हमने यह जानने की कोशिश की कि वे ‘ छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा तीज-त्यौहार को बचाए जाने की दिशा में किए जा रहे नवीन प्रयास को किस तरह से देखती है ? ‘

हरेली के संबंध में श्रीमती शमशाद बेगम ने कहा कि

‘ हरेली त्यौहार छत्तीसगढ़ के किसानों का पहला एवं बहुत महत्वपूर्ण त्यौहार है। यूं ही नहीं छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है, यहां सच में धान और किसान हमारी शान है।

राज्य में जब से श्री भूपेश बघेल जी मुख्यमंत्री बने हैं तब से लेकर आज तक उन्होंने किसानों पर बहुत अधिक ध्यान दिया है। आज गांव – गांव में गौठानों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की धारा बह रही है। ‘ गोधन न्याय योजना ‘ से हमारे समूह की महिलाएं आर्थिक रूप से समृद्ध हुई है। यह योजना ग्रामीण विकास के लिए बहुत ही लाभकारी योजना है।

हमारे समूह की महिलाएं गौठानों को ऊर्जा पार्क के रूप में विकसित कर आज वहां जैविक खेती कर रही है।
‘ नरवा, गरवा, घूरवा, बाड़ी ‘ छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी के रूप में छत्तीसगढ़ राज्य आज दूसरे राज्यों के लिए एक उदाहरण है। माननीय मुख्यमंत्री जी के इन योजनाओं के कारण ही आज ग्रामीण विकास की अवधारणा सफल होती दिखाई दे रही है। वर्तमान राज्य सरकार ने जिस तरह से तीज-त्यौहारों को प्रमुखता दी है उसके लिए उनका जितना भी धन्यवाद किया जाए कम है। आज बच्चे बड़े मन से इस त्यौहार का इंतजार करते हैं क्योंकि मुख्यमंत्री जी ने इस त्यौहार के लिए अलग से सरकारी छुट्टी की घोषणा कर बच्चों के मन में भी हरियाली पैदा कर दी है।

मैं हृदय से ग्रामीण विकास के नई इबारत लिख रहे हमारे प्रदेश के मुखिया श्री भूपेश बघेल जी का व्यक्तिगत रूप से और अपनी महिला स्व सहायता की ओर से धन्यवाद देना चाहती हूं। मुख्यमंत्री जी ने जिस तरह से अपने जड़ों को जमीन से जोड़ने के लिए सार्थक और सराहनीय योजनाओं का क्रियान्वयन किया है वह हमारे प्रदेश की नई पहचान है। ‘

हरेली के महत्व और छत्तीसगढ़ सरकार के प्रयास को थोड़ा और विस्तारपूर्वक जानने के लिए हमने छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध साहित्यकार और संस्कृतिकर्मी श्री रमेश अनुपम जी से भी बातचीत की।

श्री रमेश अनुपम जी कहते हैं

श्री रमेश अनुपम जी कहते हैं

‘हरेली छत्तीसगढ़ का कोई साधारण तीज- त्यौहार नहीं है अपितु छत्तीसगढ़ के लोक की आत्मा में रचा-बसा एक असाधारण और मांगलिक पर्व है। यह दुर्भाग्यजनक है कि छत्तीसगढ़ राज्य के अस्तित्व में आने के पश्चात किसी भी राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ की आत्मा में रचे-बसे तीज, त्यौहार, लोक परंपराओं और लोक संस्कृति की ओर उस तरह से ध्यान नहीं दिया है, जिस तरह से वर्तमान में राज्य के यशस्वी मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल दे रहे हैं। राज्य में पहली बार किसी सरकार और मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ की मूल आत्मा को पहचानने की कोशिश की और उसे पुनः प्रतिष्ठित करने के भागीरथी प्रयास में संलग्न भी दिखाई दे रहे हैं।

हरेली छत्तीसगढ़ के लोक जीवन की अपूर्व झांकी है जो प्रकृति के प्रति उत्कट प्रेम का परिचायक है। विगत तीन वर्षों से जिस तरह प्रदेश के मुखिया श्री भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति के संवर्द्धन और सरंक्षण में लगे हुए हैं वह छत्तीसगढ़ की अस्मिता को पुनर्जीवित करने का एक अक्षुण्ण प्रयास मात्र भर नहीं है अपितु वह उस विलुप्त छत्तीसगढ़ की खोज भी है जो गावों में बसता है और गांव ही जिसकी आत्मा है।’

अपने प्रदेश के तीज-त्यौहार और संस्कृति को बचाए रखने के लिए (Hareli Special Article) छत्तीसगढ़ राज्य सरकार निरंतर नित नई योजनाओं का शुभारंभ ही नहीं कर रही है वरन् उसके माध्यम से एक नया छत्तीसगढ़ गढ़ने में सफल भी हो रही है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button