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High Commission : आयुष्मान और खूबचंन्द बघेल योजना में जमकर कमीशनख़ोरी, आरोपों के घेरे में प्रियंका लालवानी

रायपुर, 24 जुलाई। High Commission : राज्य सरकार की महती योजना खूबचंद बघेल और आयुष्मान योजना में इन दिनों खुला खेल चर रहा है। कमीशनखोरी के खेल ने विभाग को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोडा। स्टेट नोडल एजेन्सी की संविदा अधिकारी प्रियंका लालवानी इन दिनों अपने डाक्टर पति के साथ मिलकर राज्य सरकार को लंबा चूना लगा रही हैं। उनके द्वारा सेक्टिंग करके आउटर और छोटे अस्पतालों के कडोरों रुपये के क्लेम को आंख बंद कर सैंक्शन किया जा रहा है। कहते हैं कि विभाग के बडे अफसरों को प्रियंका इस  बात की भनक तक नहीं लगने दे रही हैं। अपनें डाक्टर पति के माध्यम से कई अस्पतालों में सेटिंग करके स्वास्थ्य विभाग को लंबा चूना लगाया जा रहा है।

कौन हैं प्रियंका लालवानी-

प्रियंका लालवानी स्टेट नोडल एजेन्सी में हॉस्पिटल कसंलटेन्ट के पद पर कार्यरत हैं। इनके पति डॉक्टर विनोद लालवानी अमृतम हॉस्पिटल चलाते हैं। प्रियंका पर आरोप हैं कि अपने पति के माध्यम से रायपुर ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ के हर इलाके से छोटे हॉस्पिटलों में सेटिंग करके उनके बिलों को पास किया जाता है। जिसके एवज में मोटा कमीशन लिया जा रहा है। ऐसे -ऐसे हास्पिटलों को करोडों का भुगतान किया जा रहा है, जिसके नाम आपने कभी नहीं सुना होगा।

पूर्व में आरोपों के चलते प्रियंका की संविदा समाप्त कर दी गई थी

प्रियंका लालवानी का नाता इसके पहले भी विवादों से घिरा रहा है। 2018-19 के आसपास इसी कारण से प्रियंका लालवानी की संविदा समाप्त कर दी गई थी। तत्कालीन स्वास्थ्य संचालक रानू साहू ने उनकी संविदा समाप्त करते हुए विभाग से विदाई कर दी थी। एक बार फिर प्रियंका ने इसकी  जानकारी छुपाकर विभाग में एन्टी् कर ली। अब वह राज्य सरकार की छवि में बट्टा लगाकर कारोडों रुपये के वारे न्यारे कर रही हैं।

कैसे दिया जा रहा खेल को अंजाम

स्टेट नोडल एजेन्सी में बिलों को पास करने का काम देख रहीं प्रियंका अपने डॉक्टर पति के माध्यम से राज्य के हर छोटे-बडे हास्पिटलों में कमीशन का जाल बिछा रखा है। जिनसे रकम मिलने की सहमति मिल जाती है उनके बिल धडाधड पास किए जाते हैं, नाम मात्र के बिलों का रिजेक्सन दिखाया जाता है ताकि प्रियंका के उपर उंगली न उठ सके। बाकी अस्पतालों के बिलों को कुछ न कुछ आपत्ति लगाकर रिजैक्ट कर दिया जाता है। आप देखेगें तो ऐसी हास्पिटलों की लंबी सूची है जिनके संचालन का कुछ अता पता ही नहीं है, लेकिन उन्हें करोडो का भुगतान कर दिया गया है।

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