Lokvani : जनता की भागीदारी से गढ़ा जा रहा है नवा छत्तीसगढ़ – मुख्यमंत्री
जिला स्तर पर विशेष रणनीति से बन रही है विकास की नई राह
रायपुर, 12 सितंबर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आकाशवाणी से हर माह प्रसारित होने वाली ‘लोकवाणी’ की 21वीं कड़ी में जिला स्तर पर विशेष रणनीति से विकास की नई राह विषय पर प्रदेशवासियों से चर्चा की।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 21वीं कड़ी की शुरूआत जय जोहार के अभिवादन के साथ की। उन्होंने कहा कि आज का विषय ‘जिला स्तर पर विशेष रणनीति से विकास की नई राह’ है। इसमें स्थानीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए समस्याओं को चिन्हित करना, उनके समाधान की तलाश करना, उन्हें लागू करना और जनता को राहत दिलाना है। इस कड़ी में सभी जिलों के समन्वित विकास के लिए स्थानीय जनता की सोच, इच्छा तथा अपेक्षा के अनुरूप काम करने में जिला प्रशासन को और अधिक सक्षम बनाया जा रहा है। इस तरह राज्य में प्रत्येक व्यक्ति को सशक्त बनाते हुए विकास में उनकी भागीदारी सुनिश्चित कर नवा छत्तीसगढ़ को गढ़ा जा रहा है।
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि गणेश चतुर्थी, नवा खाई तथा विश्वकर्मा जयंती जैसे कई पावन पर्वों के अवसर पर इस महीने के लोकवाणी का प्रसारण हो रहा है। आप सभी सावधानी तथा सुरक्षा के साथ इन पर्वों को खुशी-खुशी मनाते हुए सामाजिक एकता, सौहार्द्र और समरसता की हमारी महान विरासत को आगे बढ़ाएं।
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ के सभी जिलों के समन्वित विकास के लिए आमजनता की समस्याओं को संवेदनशीलता के साथ सुनने और स्थानीय जरूरत के हिसाब से कदम उठाने के लिए प्रशासन को फ्री-हेंड दिया गया है। इस तरह आमजनों के जीवन-स्तर का तीव्र उन्नयन और उनकी आजीविका के लिए स्थायी समाधान पर विशेष जोर दिया जा रहा है।
कोदो-कुटकी तथा रागी फसलों को बढ़वा
मुख्यमंत्री बघेल ने आगे कहा कि आर्थिक तंगी और कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से हमारे प्रदेशवासियों को किसी तरह की तकलीफ न हो, बल्कि उनकी सुविधाओं में बढ़ोत्तरी का सिलसिला लगातार आगे बढ़ता रहे, इस बात को ध्यान में रखते हुए हमने छत्तीसगढ़ में अनेक नये-नये उपाए किए हैं। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए अब लघु धान्य फसलों का उत्पादन बढ़ाने के साथ इन्हें बेहतर दाम तथा सुविधाएं देने की पहल की है। इसके लिए छत्तीसगढ़ मिलेट मिशन की स्थापना की गई है और उत्पादन में वृद्धि तथा प्रसंस्करण के लिए व्यापक कार्ययोजना बनाई जा रही है।
लघु धान्य फसलें पोषण की दृष्टि से बहुत उपयोगी होती है लेकिन इन फसलों को अन्य कृषि उत्पादों की तुलना में कम महत्व मिलता रहा है। इन फसलों का उत्पादन करने वाले किसानों को भी अन्य किसानों की तुलना में कम महत्व मिलता रहा है। हमने इसे ध्यान में रखते हुए आवश्यक पहल की है। राज्य के बस्तर संभाग अंतर्गत दंतेवाड़ा, सुकमा, कांकेर जिलों में कुछ लघु धान्य प्रसंस्करण इकाइयां शुरु भी हो चुकी हैं लेकिन अब बड़ी संख्या में ऐसी इकाइयां लगाई जाएंगी।
राजीव गांधी किसान न्याय योजना के विस्तार में इस बात का ध्यान रखा गया है कि जो किसान धान के बदले कोदो-कुटकी-रागी की फसल लेंगे, उन्हें प्रति एकड़ 10 हजार रुपए की आदान सहायता दी जाएगी, जो फसल बेचने से होने वाली उनकी आय के अतिरिक्त होगी। मैंने विधानसभा में घोषणा की थी कि आदिवासी अंचलों में उपजाई जाने वाली कोदो-कुटकी और रागी फसल की खरीदी समर्थन मूल्य पर की जाएगी। मुझे यह बताते हुए खुशी है कि हमने कोदो-कुटकी का समर्थन मूल्य 3 हजार रुपए प्रति क्विंटल और रागी का समर्थन मूल्य 3 हजार 377 रुपए प्रति क्विंटल तय कर दिया है। इनको खरीदने की व्यवस्था भी लघु वनोपज संघ के माध्यम से कर दी गई है।
ईको पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होगा नंदिनी माइंस
मुख्यमंत्री बघेल ने बताया कि दुर्ग शहर से 25 किलोमीटर दूरी पर स्थित ग्राम नंदिनी में 2500 एकड़ की जमीन में पहले चूना पत्थर की खदान थी। बरसों से इस खदान में खनन गतिविधियां बंद हैं। जिला प्रशासन ने बहुत व्यापक सोच के साथ इस क्षेत्र में जंगल विकसित करने की कार्ययोजना बनाई है, जो दुर्ग-भिलाई के औद्योगिक प्रदूषण से निपटने में भी मदद करेगा और प्रदेश के पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों को भी बल मिलेगा। इस क्षेत्र में 80 हजार से अधिक पौधे लगाने का काम शुरू किया गया है, जिससे बहुस्तरीय वन का विकास होगा। इस मानव निर्मित विशाल वन क्षेत्र में वन्यप्राणियों का बसेरा और समूचा अंचल वृहद ईको पर्यटन स्थल के रूप में आकर्षण का केन्द्र बनेगा।
नवाचारों का बड़े पैमाने पर मिल रहा लाभ
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ के समग्र विकास के लिए आदिवासी अंचल में भी कई ऐसे नवाचार किए गए हैं, जिसका लाभ अब लोगों को बड़े तादाद में मिलने लगा है। उन्होंने बताया कि इनमें मलेरियामुक्त बस्तर अभियान के माध्यम से लोगों को बहुत बड़ी राहत दिलाई है। आज मलेरियामुक्त बस्तर अभियान की सफलता की चर्चा चारों तरफ हो रही है। निश्चित तौर पर बस्तर को मलेरिया से बचाने की सोच और उस पर जिस तरह से अमल किया गया, उसे एक नवाचार ही माना जाएगा।
हमारी सरकार बनने के बाद बस्तर संभाग के सातों जिलों में अभियान के तहत हमारे स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने घर-घर जाकर सर्वे किया और एक-एक व्यक्ति की जांच की गई। निःशुल्क दवाएं दी गईं। घरों में मच्छररोधी दवाइयों का छिड़काव किया गया। मेडिकेटेड मच्छरदानियां बांटी गईं। इन प्रयासों के कारण एपीआई की दर लगातार कम हुई।
‘मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लीनिक योजना’ का भी इसमें बहुत सहयोग मिला, जो कि अपने आप में एक नवाचार था। मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लीनिक योजना से 11 लाख से अधिक लोगों का इलाज हुआ। इस तरह से मलेरिया और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान से सुपोषण को लेकर किए जा रहे प्रयासों को भी बल मिला। मलेरियामुक्ति का अभियान महिलाओं और बच्चों के लिए वरदान साबित हुआ है। इसका लाभ सुरक्षा बलों तथा सभी निवासियों को मिला है।
राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा की सराहना
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना के चलते पूरे देश की अर्थव्यवस्था डगमगा गई थी, कोरोना ने हमारे देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया था। ऐसी स्थिति में भी चुनौतियों का सामना करते हुए बच्चों की पढ़ाई-लिखाई जारी रहे, इसके लिए ‘पढ़ई तुंहर दुआर’ कार्यक्रम प्रारंभ किया गया। cgschool.in नाम से एक पोर्टल का निर्माण कर ऑनलाइन कक्षाएं प्रारंभ की गईं। इस ऑनलाइन पढ़ाई से घर बैठे ही लाखों बच्चे सुरक्षित पढ़ाई करने लगे। इंटरनेट की पहुंच नहीं होने वाले क्षेत्रों व ऐसे बच्चे जिनके पास मोबाइल नहीं था, उसे ध्यान में रखते हुए मोहल्ला कक्षा प्रारंभ की गई।
शिक्षकों की मेहनत से बच्चों का पढ़ाई से रिश्ता बना रहा बल्कि पढ़ाई और अधिक रोचक और व्यापक हो गई। हमारे गुरुजनों ने अपनी लगन, निष्ठा और नवाचार से समाज में शिक्षकों की प्रतिष्ठा को नई ऊंचाई दी है। इन नवाचारी प्रयासों को न केवल राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली बल्कि पुरस्कार भी मिले हैं। मैं चाहता हूं कि शिक्षक-शिक्षिकाओं ने कोरोना काल में जिस तरह शिक्षा के नए-नए प्रयोग किए, उसे आगे भी करते रहें।
स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल योजना के तहत 171 स्कूलों का उन्नयन कोरोना काल में ही हुआ है। अब मैंने निर्देश दिया है कि इसी की तर्ज पर उत्कृष्ट हिंदी माध्यम शाला भी विकसित की जाएं। यह नवाचार प्रदेश की सरकारी स्कूलों में आमूल-चूल परिवर्तन लाएगा और सामान्य तथा गरीब परिवारों के बच्चों का जीवन संवारेगा।
सुराजी गांव योजना से बदलाव
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि सुराजी गांव योजना से छत्तीसगढ़ के जनजीवन में जो बदलाव आ रहा है, नरवा, गरुवा, घुरुवा, बाड़ी को छत्तीसगढ़ की चार चिन्हारी के रूप में बचाने की सोच के साथ, एक नए रास्ते पर चलना शुरू किया था लेकिन आप लोगों ने अपनी मौलिक सूझबूझ से, उसे इतना व्यापक रूप दे दिया है कि उसमें नए-नए उत्पाद और नए-नए रोजगार के अवसर बनने लगे हैं। छत्तीसगढ़ में हमने समय रहते ‘नरवा’ परियोजना पर बल दिया। अभी तक लगभग 32 सौ नालों में जरूरी सुधार कार्य किया जा चुका है। आगामी साल करीब 11 हजार नालों को पुनर्जीवित करने की योजना पर हम युद्धस्तर पर काम कर रहे हैं।
गरुवा और घुरुवा को विकसित करने से नए रास्ते बनते चले गए और गोबर से धन बरसने लगा। गोधन न्याय योजना के 8 सितम्बर के आंकड़े से एक अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस योजना से क्या लाभ मिल रहा है। अभी तक गोबर बेचने वालों को 100 करोड़ 82 लाख रुपए, महिला स्वसहायता समूह को 21 करोड़ 42 लाख रुपए तथा गौठान समितियों को 32 करोड़ 94 लाख रुपए का भुगतान किया जा चुका है। गोधन न्याय योजना से 1 लाख 77 हजार 437 पशुपालकों को लाभ मिला है, जिसमें भूमिहीनों की संख्या 79 हजार 435 है। वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट तथा सुपर कम्पोस्ट प्लस का उत्पादन 11 लाख क्विंटल से अधिक हो चुका है और करीब 8 लाख क्विंटल की बिक्री भी की जा चुकी है। यह रूझान बताता है कि छत्तीसगढ़ में जैविक खाद के उपयोग के लिए तेजी से जागरूकता बढ़ रही है। 1 हजार 634 गौठान आत्मनिर्भर बन चुके हैं।
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि हमारा मुख्य उद्देश्य जनता को सशक्त करना है और विकास में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करना है और हम सबको मिलकर ‘नवा छत्तीसगढ़’ गढ़ना है।