छत्तीसगढ

Mausam News : बंगाल की खाड़ी से आ रही नम हवाएं, हल्की बारिश के आसार

रायपुर, 3 मार्च। Mausam News : बंगाल की खाड़ी से आ रही नमीयुक्त दक्षिण हवा के कारण गुरुवार को प्रदेश के मौसम में बदलाव के आसार है। मौसम विज्ञानियों का कहना है कि प्रदेश के उत्तरी भाग में हल्की बारिश भी हो सकती है। साथ ही न्यूनतम तापमान और अधिकतम तापमान में कोई विशेष बदलाव की संभावना नहीं है।

बुधवार को राजधानी रायपुर सहित प्रदेश भर का मौसम शुष्क रहा। अधिकतम और न्यूनतम तापमान में कोई विशेष बदलाव नहीं हुआ। अब सुबह बस हल्की ठंड बने रहती है और दोपहर के साथ रात में भी गर्मी बढ़ने लगी है। दोपहर के समय तो धूप की चुभन बढ़ गई है। बढ़ती गर्मी के कारण अब घरों और आफिसों में पंखे, एसी शुरू हो गए है।

रायपुर का अधिकतम तापमान 33.8 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 20.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। प्रदेश में सबसे कम न्यूनतम तापमान बलरामपुर में 10.9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

मौसम विज्ञानियों का कहना है कि अभी मौसम में कोई विशेष बदलाव की संभावना नहीं है। आने वाले दिनों में गर्मी अपने और तीखे तेवर दिखाएगी। आने वाले सात से आठ दिनों में अधिकतम और न्यूनतम तापमान में भी बढ़ोतरी होगी।

पश्चिमी विक्षोभ प्रभाव

मौसम विज्ञानी (Mausam News) एचपी चंद्रा ने बताया कि अभी पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से एक ऊपरी हवा का चक्रीय चक्रवाती घेरा दक्षिण पश्चिम राजस्थान के ऊपर 1.5 किमी ऊंचाई तक है। इसके कारण ही बंगाल की खाड़ी से नम युक्त दक्षिण हवाएं प्रदेश में आने की संभावना है। इसके कारण ही गुरुवार तीन मार्च को प्रदेश के उत्तरी भाग में कुछ स्थानों पर हल्की वर्षा हो सकती है।

क्या है पश्चिमी विक्षोभ

पश्चिमी विक्षोभ या वेस्टर्न डिस्टर्बन्स भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी इलाक़ों में सर्दियों के मौसम में आने वाले ऐसे तूफ़ान को कहते हैं जो वायुमंडल की ऊँची तहों में भूमध्य सागर, अन्ध महासागर और कुछ हद तक कैस्पियन सागर से नमी लाकर उसे अचानक वर्षा और बर्फ़ के रूप में उत्तर भारत, पाकिस्तान व नेपाल पर गिरा देता है। उत्तर भारत में रबी की फ़सल के लिये, विशेषकर गेंहू के लिये, यह तूफ़ान अति-आवश्यक होते हैं।

मानसून से अंतर

ध्यान दें कि उत्तर भारत में गर्मियों के मौसम (Mausam News) (सावन) में आने वाले मानसून से पश्चिमी विक्षोभ का बिलकुल कोई सम्बन्ध नहीं होता। मानसून की बारिशों में गिरने वाला जल दक्षिण से हिन्द महासागर से आता है और इसका प्रवाह वायुमंडल की निचली तहों में होता है। मानसून की बारिश ख़रीफ़ की फ़सल के लिये ज़रूरी होती है, जिसमें चावल जैसे अन्न शामिल हैं।

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