छत्तीसगढराज्य

National Tribal Literature Fest Ending : राज्यपाल पहुंचे, बोली- मील का पत्थर साबित होगा यह पर्व

रायपुर, 22 अप्रैल। National Tribal Literature Fest Ending : राष्ट्रीय जनजातीय साहित्य महोत्सव के समापन समारोह में राज्यपाल अनुसुइया उइके ने शिरकत की। इस अवसर पर केन्द्रीय जनजातीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह, आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, संसदीय सचिव द्वारिकाधीश यादव एवं विधायक लक्ष्मी ध्रुव उपस्थित थे।

तीन दिवसीय राष्ट्रीय जनजातीय साहित्य महोत्सव का समापन

राज्यपाल ने की सरकार के प्रयासों की सराहना

कार्यक्रम को संबोधित (National Tribal Literature Fest Ending) करते हुए राज्यपाल ने कहा कि जनजातियों की समृद्ध संस्कृति, साहित्य को संरक्षित एवं संवर्धित करने के लिए राज्य शासन द्वारा आयोजित किया गया तीन दिवसीय राष्ट्रीय जनजातीय साहित्य महोत्सव अत्यंत सराहनीय प्रयास है। उन्होंने इसके लिए आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति विभाग को बधाई दी। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा गत वर्ष भी राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव आयोजित किया गया था, जिसकी चर्चा देश-विदेशों में भी हुई।

आदिवासियों की बेहतरी के लिए राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास का आश्वासन

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन के अनुसार पूरे देश में जनजातियों के कल्याण के लिए अनेक कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। उन्होंने आदिवासी युवाओं का आह्वान किया कि वे जागरूक होकर इन कार्यक्रमों का लाभ लें। उन्होंने कहा कि इस तीन दिवसीय महोत्सव में शोध-परिचर्चा के दौरान जो भी निष्कर्ष आदिवासियों की बेहतरी के लिए आए होंगे उसके क्रियान्वयन के लिए राष्ट्रीय स्तर पर भी वे आवश्यक प्रयास करेंगी।

आदिवासी साहित्य के लिए 107 शोध पत्र पढ़ना एक बड़ी उपलब्धि

उन्होंने कहा कि यह बड़े ही गर्व का विषय है कि इस महोत्सव में जनजातीय साहित्य लेखन में रूचि रखने वाले देश के प्रख्यात साहित्यकारों ने हिस्सा लिया। यह निश्चित रूप से छत्तीसगढ़ के जनजातीय साहित्य के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देगा। इन तीन दिनों में यहां जनजातीय साहित्य भाषा विज्ञान एवं अनुवाद, जनजातीय अस्मिता, जनजातीय जीवन का चित्रण, जनजातीय साहित्य में अनेकता एवं चुनौतियां, लोक संस्कृति का बदलता स्वरूप, आदिवासी समाज के मानवीय मूल्यों, उनके जीवन दर्शन जैसे अन्य कई महत्वपूर्ण विषयों पर 107 शोधपत्रों का वाचन छत्तीसगढ़ के जनजाति साहित्य के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।

सुश्री उइके ने कहा कि आदिवासी साहित्य में उनके इतिहास की झलक दिखाई देती है

उइके ने कहा कि आदिवासी साहित्य में उनके इतिहास की झलक दिखाई देती है। साहित्य के जरिए उनकी जीवन शैली को करीब से महसूस किया जा सकता है। उन्हें जाना एवं समझा जा सकता है। जनजातीय कला जैसे नृत्य, नाट्य, गीत-संगीत और चित्रकारी में उनकी जीवनशैली, परंपरा और संस्कार स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं। उन्होंने कहा कि जनजातीय संस्कृति के साथ-साथ अदम्य साहस के प्रतीक गुण्डाधूर, शहीद वीर नारायण सिंह जैसे  महापुरूषों पर आधारित नाटकों के मंचन से हम, न केवल वर्तमान पीढ़ी को जनजातीय समाज के गौरवपूर्ण इतिहास एवं उनके योगदान से परिचित करवा पायेंगे बल्कि इससे नाट्य विधाओं का भी संरक्षण हो सकेगा। इन नाट्य प्रस्तुतियों के द्वारा जनजातीय संस्कृतियों को फिर से जीवंत किया जा सकता है।

साहित्य महोत्सव में न आने का मलाल

राज्यपाल उइके ने कहा कि यदि उनके पूर्व निर्धारित कार्यक्रम नहीं होते तो वे निश्चित रूप से देश के प्रख्यात साहित्यकारों, लोककलाकारों के बीच आकर उनसे संवाद करतीं। कार्यक्रम के पश्चात् साहित्यकारों ने उन्हें अपनी पुस्तकें भी भेंट की। राज्यपाल ने सभी से अनौपचारिक रूप से मुलाकात की।

आदिवासी हस्तशिल्प कलाकारों को बाजार के लिए किया प्रोत्साहित : राज्य मंत्री रेणुका सिंह

केन्द्रीय जनजातीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह ने कहा कि जनजातीय कला लोकसंस्कृति को समृद्ध करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि देशभर के विभिन्न शहरों में आदि महोत्सव का आयोजन किया जाता है। इस महोत्सव में देशभर के जनजातीय हस्तशिल्प कलाकारों को बाजार उपलब्ध कराकर उन्हें प्रोत्साहित किया जाता है। श्रीमती सिंह ने कहा कि हम अभी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। इसके अंतर्गत देश की परंपरा, सभ्यता को सुरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन देशभर में किया जा रहा है। इस परंपरा और सभ्यता को सुरक्षित रखने के लिए हमें कड़ी मेहनत करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा महोत्सव के दौरान पढ़े गए शोध पत्र निश्चय ही जनजातीय समाज और उनके विकास के काम आएगा।

आदिवासी साहित्य और साहित्यकारों की संरक्षण एवं संवर्धन करेंगे : डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम

आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने कहा कि जनजातीय कला-चित्रकला तथा नृत्य महोत्सव का आयोजन जनजातीय कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने का अच्छा अवसर प्रदान करता है। इस प्रकार के कार्यक्रम निश्चित रूप से जनजातीय साहित्य और साहित्यकारों का संरक्षण एवं संवर्धन करेंगे, साथ ही उन्हें प्रोत्साहित भी करेंगे।

राष्ट्रीय जनजातीय साहित्य महोत्सव (National Tribal Literature Fest Ending) के समापन समारोह के दौरान रायपुर के मठपुरैना स्थित शासकीय दृष्टिबाधित विद्यालय के विद्यार्थियों ने राज्यपाल उइके को उनका पोट्रेट भेंट किया। सुकमा जिले के दृष्टिबाधित दिव्यांग कलाकार कुमारी सोणी बीडे़ ने सत्यम शिवम् सुंदरम भजन की मनमोहक प्रस्तुति दी। साथ ही बस्तर के बाल कलाकार सहदेव ने बड़े ही मनमोहक अंदाज में बस्तर के लोकगीत को प्रस्तुत किया।

इस अवसर पर बिलासपुर संभागायुक्त संजय अलंग, आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति विभाग के सचिव डी.डी. सिंह, आयुक्त सह संचालक शम्मी आबिदी, पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति केशरीलाल वर्मा उपस्थित थे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button