छत्तीसगढ

PCC चीफ मोहन मरकाम का निर्णय- ध्वजारोहण के साथ पढ़ी जाएगी संविधान की प्रस्तावना

रायपुर। 26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के प्रदेश मुख्यालय सभी जिला मुख्यालयों और ब्लॉक मुख्यालयों में राष्ट्रध्वज फहराया जाता है। इस अवसर पर परंपरागत रूप से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम का प्रदेश की जनता के नाम संदेश सभी ध्वजारोहण स्थलों में प्रदेश मुख्यालय, जिला मुख्यालय और ब्लॉक मुख्यालय में पढ़ा जाता है।

कांग्रेस ने यह निर्णय लिया है कि इस बार प्रदेश मुख्यालय, सभी जिला मुख्यालयों और सभी ब्लाक मुख्यालयों में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का प्रदेश की जनता के नाम संदेश के साथ-साथ संविधान की प्रस्तावना भी पढ़ी जाएगी।

लाहौर में रावी के तट पर कांग्रेस के अधिवेशन में कांग्रेस अध्यक्ष पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 26 जनवरी 1930 से पूर्ण स्वाधीनता का लक्ष्य देश के लिए घोषित किया था।

इसी कारण आजादी के बाद संविधान को देश में लागू करने के लिये इसी दिन को चुना गया। बाबा साहेब अंबेडकर के द्वारा बनाये गये संविधान को 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया।

पूर्ण स्वाधीनता की घोषणा 26 जनवरी को होने के कारण कांग्रेस आजादी की लड़ाई के दिनों में भी 26 जनवरी को खूब उत्साह के साथ मनाती रही है।

आजादी की लड़ाई के दिनों से ही 26 जनवरी को कांग्रेस तिरंगे झण्डे का झंडा वंदन करती है।

26 जनवरी को वंदे मातरम का गान होता है, तिरंगा झंडा फहराया जाता है। झंडे को सलामी दी जाती है। विजयी विश्व तिरंगा प्यारा का गीत गाया जाता है और अंत में जन गण मन राष्ट्रगीत से कार्यक्रम समाप्त होता है।

इस अवसर पर प्रदेश की जनता के नाम प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का संदेश प्रदेश मुख्यालय, सभी जिला मुख्यालयों और ब्लॉक मुख्यालयों में पढ़ा जाता है।

छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस ने यह निर्णय लिया है कि इस बार प्रदेश मुख्यालय में सभी जिला मुख्यालयों में और ब्लाक मुख्यालयों में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के संदेश के साथ साथ कांग्रेस जन और उपस्थित सभी लोग संविधान की प्रस्तावना का भी पाठ करेंगे।

संविधान की प्रस्तावना 13 दिसम्बर 1946 को जवाहर लाल नेहरू द्वारा संविधान सभा में प्रस्तुत की गयी थी।

भारत के संविधान की प्रस्तावना

हम भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिए तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवम्बर 1949 ईसवी मिति मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी, सम्वत् दो हजार छह विक्रमी को एतद द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।

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