छत्तीसगढ

राष्ट्रीय स्तर पर ‘जनसुनवाई’ की हुई प्रशंसा…विधानसभा और संसद में 33% आरक्षण के लिए PM को भेजा पत्र

रायपुर, 11 जनवरी। धर्मशाला हिमाचल प्रदेश में विगत 7 और 8 जनवरी को 2 दिवसीय राष्ट्रीय महिला आयोग एवं अन्य राज्यों के महिला आयोग के मध्य इंटरेक्टिव बैठक का आयोजन किया गया।

बैठक के प्रथम दिवस के द्वितीय सत्र में घरेलू हिंसा में महिलाओं की सहायता, कानून में संशोधन और पुनर्वास विषय पर छत्तीसगढ़ में किये जा रहे कार्यों की जानकारी दिया गया। जिसमें यह बताया गया कि छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग के द्वारा निरन्तर न्यायालयीन जनसुनवाई किये जाने के साथ ही महिलाओं की प्रताड़ना के विषय मे त्वरित कार्यवाही किया जा रहा है।

पीड़ित महिलाओं के रहवास और पुनर्वास के संबंध में भी त्वरित कार्यवाही किया जाता है। एक वर्ष में लगभग 1500 से अधिक प्रकरणों की सुनवाई तथा 500 से अधिक प्रकरणों का निराकरण के साथ 100 प्रकरणों पर नियमित निगरानी आयोग द्वारा किया जा रहा है।

छत्तीसगढ़ में किये जा रहे कार्यों की सराहना सभी राज्य महिला आयोगों ने किया है। दूसरे दिन 8 जनवरी के सत्र में 6 राज्यों के आयोग अध्यक्षों के द्वारा पीड़ित महिलाओं के पुनर्वास और सहायता विषय पर अपने अपने राज्यों में किये जा रहे कार्यों की जानकारी दी गई। इसके साथ ही आने वाली समस्याओं पर भी चर्चा किया गया। इस पूरे सत्र का संचालन डॉ. नायक के द्वारा कुशलता पूर्वक किया गया।

इसी सत्र में अन्य विषय में आने वाली महिलाओं के ऊपर समस्या और उसमें किये जा रहे कार्यों पर आयोग के क्या विचार है, इस मुद्दे पर विस्तृत चर्चा के बाद यह निर्णय आया कि महिलाओं को सशक्त करने के लिए विधानसभा और संसद में 33% आरक्षण अनिवार्य किये जाने बाबत सहमति केन्द्रीय स्तर पर प्रस्ताव बनाने का प्रयास किया जाना चाहिए।

पैनल डिस्कशन में छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डाॅ नायक ने अपने विचार रखे जिसमें राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष, प्रधानमंत्री, लोकसभा तथा राज्यसभा के स्पीकर को एक पत्र भेजे की समस्त महिला आयोग की यह मांग है कि, पूरे भारत मे संसद और प्रत्येक राज्य के विधानसभा में 33 प्रतिशत महिला आरक्षण का बिल विगत 8 वर्षों से लंबित है उसे तत्काल पास कर लागू कराए जाना चाहिए।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button