सब्सिडी को खत्म करना किसानों के साथ षड्यंत्र, पत्रकार वार्ता के जरिए कृषि मंत्री रवींद्र चौबे ने केंद्र पर साधा निशाना

रायपुर। कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे आज राजीव भवन में पत्रकारवार्ता को सम्बोधित करते हुए केन्द्र सरकार की ओर से फसलों के समर्थन मूल्य और किसानों के लिए की गई घोषणाओं को छलावा बताया है।
उन्होंने केन्द्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि किसानों को मिलने वाली सब्सिडी को खत्म करके उसे नकद के रूप में किसान के खातों में डाल दिया जाए। यदि किसानों की लागत बढ़ेगी तो केन्द्र सरकार ने उसी अनुपात में धान का दाम क्यों नहीं बढ़ाया? मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि कोरोना काल मे लगातार केन्द्र सरकार आत्मनिर्भर की बात करते हुए 20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा किया, जिसके बाद किसी उस पैकेज को हफ्तेभर तक एपिसोड की तरह प्रचारित प्रसारित किया। इस वैश्विक महामारी के दौरान मोदी सरकार क्वारेंटाइन के बाहर नहीं आ पा रही है।
मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि केन्द्र की योजनाओं में किसानों के लिए कुछ नहीं है, किसानों के साथ धोखा किया। केन्द्र सरकार ने धान का समर्थन मूल्य वैसे तो 53 रुपए बढ़ाया है लेकिन प्रतिशत में देखा जाए तो विगत वर्ष की तुलना में 2.92 प्रतिशत बढ़ा है। केन्द्र का आंकलन गलत है कि धान के समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी से किसान को लागत का डेढ़ गुना मूल्य मिल रहा है। केन्द्र किसान निधि निराश्रित पेंशन की तरह दे रही है। मंत्री चौबे ने कहा कि धान और अन्य फसलों के समर्थन मूल्य में वृद्धि तो बाजार में बढ़ी महंगाई दर से भी कम है। चौबे ने कहा कि किसानों को 7% की दर पर कर्ज देने की यह पुरानी योजना है। केन्द्र ने समय पर कर्ज चुकाने पर 3 प्रतिशत सब्सिडी देने की बात कही लेकिन यह छूट पहले से मिलती आ रही है। सरकार ने किसानों को ब्याज में नहीं उस राशि को जमा करने के समय में छूट दी है। जब किसान दबाव और तनाव में है तब मोदी सरकार ने उनका भला करने कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं।