सिकल सेल संबंधित नवगठित राष्ट्रीय परिषद में डॉ. नेरल सदस्य मनोनीत
रायपुर, 9 अक्टूबर। भारत शासन के अनुसूचित जनजाति मंत्रालय ने संपूर्ण देश में सिकल सेल बीमारी से ग्रसित मरीज़ों के कल्याणार्थ नेशनल कौंसिल ऑन सिकल सेल डिजीज (एन.सी.एस.सी.डी.) का गठन किया है। मंत्रालय ने देश में, विशेष रूप से अनुसूचित जनजाति वर्ग में इस अनुवांशिक रोग की गंभीरता को महसूस करते हुये इस दिशा में व्यापक और कारगर उपायों और कार्यों के व्यवहारिक धरातल पर ठोस क्रियान्वयन के लिये और राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर समन्वय स्थापित करने के उद्देश्य से इस उच्च स्तरीय कौंसिल की आवश्यकता प्रतिपादित की है।
छ.ग. राज्य में सिकल सेल रोग पर कार्य कर रहे संस्थान की गतिविधियों को रेखांकित करते हुये इसके महानिदेशक डॉ. अरविन्द नेरल को इस महत्वपूर्ण राष्ट्रीय परिषद में सदस्य मनोनीत किया गया है। इस परिषद के चेयरमैन भारत शासन के ट्रायबल अफेयर्स मंत्रालय के संयुक्त सचिव और को-चेयरमैन केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव होंगे। इनके अलावा सामाजिक न्याय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के संयुक्त सचिव द्वय नीति आयोग के सलाहकार एवं कुछ राज्यों जैसे ओडिसा, गुजरात, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और झारखंड के स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव या उनके मनोनीत सदस्य इस परिषद के सदस्य होंगे।
सिकल सेल संस्थान के महानिदेशक डॉ. अरविन्द नेरल ने एक प्रेस विज्ञप्ति में जानकारी दी कि राष्ट्रीय स्तर के इस कौंसिल में एक सदस्य के रूप में मनोनयन संस्था के लिये एक बड़ी और सराहनीय उपलब्धि है। उन्होंने बताया कि यह परिषद संपूर्ण देश में सिकल सेल रोग की जन सामान्य में जानकारियाँ विस्तारित करने और इस अनुवांषिक बीमारी से जूझने के लिये योजनाओं के निर्माण और सुदृढ़ीकरण के लिये विशेषज्ञों के विचार-विमर्श हेतु मंच प्रदान करेगी। इसके अलावा यह परिषद सिकल सेल रोग को कोविड-19 के उच्च जोखिम श्रेणी (हाई रिस्क केटेगरी) में रखने और केन्द्र तथा राज्य शासन के विभिन्न विभागों के बीच समन्वय स्थापित करने का कार्य करेगी। परिषद विश्व के अन्य देशों में, जहां इस रोग के मरीज ज्यादा हैं, वहां अपनाये जा रहे सर्वश्रेष्ठ उपायों की और योजनाओं का अध्ययन कर अपने देश में उन्हें लागू करने का प्रयास करेगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा घोषित विश्व सिकल सेल दिवस-19 जून को प्रतिवर्ष पूरे देश में विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से मनाये जाने के लिये परिषद प्रेरित करेगी।
डॉ. अरविन्द नेरल ने बताया की छत्तीसगढ़ राज्य के जन जातीय व अन्य पिछड़ा वर्ग के विभिन्न समुदायों में इस वंशानुगत बीमारी की व्यापकता को देखते हुये इस परिषद का गठन बहुत लाभदायक होगा। राज्य शासन एवं इस कौंसिल के माध्यम से केन्द्र के विभिन्न मंत्रालयों के बीच इस समन्वय से राज्य में इस बीमारी से जूझने में व्यवहारिक स्तर पर ठोस कार्य करने में मदद मिलेगी और बेहतर परिणाम मिलेंगे।