Afghanistan Crisis: तालिबान शासन का विरोध कर सकता है पंजशीर प्रांत, ताजिकिस्तान में अफगानी राजदूत ने गनी को बताया देशद्रोही

दुशांबे, 19 अगस्त। ताजिकिस्तान में अफगानिस्तान के राजदूत ने तालिबान के शासन को मानने से इन्कार कर दिया है। राजदूत ने कहा कि काबुल के उत्तर में स्थित पंजशीर प्रांत तालिबान शासन का विरोध कर सकता है। ताजिकिस्तान में राजदूत नियुक्त होने से पहले अफगानिस्तान सरकार में कई वरिष्ठ पदों पर रहे लेफ्टिनेंट जनरल जहीर अगबर ने कहा कि उनके देश में तालिबान ने युद्ध नहीं जीता है, बल्कि ने अशरफ गनी ने तालिबान के साथ विश्वासघाती वार्ता कर उसे सत्ता सौंप दी है। गनी देशद्रोही थे।
अगबर ने कहा कि अफगानिस्तान के पहले उप राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह के नेतृत्व में पंजशीर ही तालिबान का विरोध कर सकता है। उन्होंने कहा कि जो कोई भी लोगों को गुलाब बनाने की कोशिश करता है पंजशीर उसके खिलाफ खड़ा होता है। सालेह ने दो दिन पहले भी कहा था कि वह तालिबान के सत्ता को नहीं मानते हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि राष्ट्रपति के देश छोड़ने के बाद कानूनी तौर पर वह ही अफगानिस्तान के कार्यवाहक राष्ट्रपति हैं।
सैन्य कमांडर अहमद शाह मसूद के नेतृत्व में नार्दर्न अलायंस ने 1996 में तालिबान शासन का विरोध किया था। पंजशीर अलायंस का गढ़ रहा है। तालिबान इस प्रांत पर कभी कब्जा नहीं कर सका। सालेह यहीं के रहने वाले हैं और मसूद के पुत्र अहमद मसूद के साथ तालिबान का विरोध करने का एलान कर चुके हैं।
पूर्वी शहर जलालाबाद में बड़ी संख्या में लोग देश के स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पहले राष्ट्रीय ध्वज फहाराने के लिए एकत्रित हुए । उन्होंने तालिबान के झंडे को नीचे कर दिया। घटना से जुड़े वीडियो फुटेज बाद में सार्वजनिक हुए जिनमें दिखाई दे रहा है कि तालिबान लड़ाके भीड़ को तितर-बितर करने के लिए हवा में गोलियां चला रहे हैं। जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए।