Chhattisgarh में अकाल की आहट : सूखने लगे खेत…गहराया संकट
रायपुर, 25 अगस्त। मानसून की बेरुखी का असर अब किसानों पर भारी पडऩे लगा है। बारिश न होने के कारण खेतों में अब दरारें दिखने लगी है। उमस और भीषण गर्मी के कारण धान का पौधा मुरझाने लगे हैं। किसानों का कहना है कि धान की बोआई के बाद पर्याप्त मात्रा में अब तक बारिश नहीं हो पाई है।
राज्य शासन के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा बनाए गए राज्य स्तरीय नियंत्रण कक्ष से मिली जानकारी के मुताबिक 1 जून 2021 से 22 अगस्त तक राज्य में 744.4 मिमी औसत वर्षा दर्ज की जा चुकी है। बारिश का सरकारी आंकड़ा भले ही संतुष्ट करता दिख रहा हो लेकिन जिले का एक भी ऐसा गांव नहीं है जहां फसलें लहलहा रही हों। हालांकि, आंकड़ों के मुताबिक, सुकमा जिले में सबसे ज्यादा बारिश हुई है जबकि बालोद में सबसे कम बारिश हुई। अलबत्ता बारिश के ये आंकड़े किसानों की धरती को गीला करने के लिए काफी नहीं हैं।
आने वाले दिनों में बारिश की कोई संभावना नहीं
अकाल की छाया मंडराने के बीच छत्तीसगढ़ किसानों को आने वाले समय में और भी मुश्किलें बढ़ सकती है। कुछ दिनों में बारिश नहीं होने पर अकाल की आशंका जताई जा रही है। दरअसल, किसानों को यह डर इसलिए भी सता रही है कि मौसम विभाग ने भी स्पष्ट किया कि छत्तीसगढ़ में आने वाले दिनों में बारिश के कोई आसार नजर नहीं आ रहे है। केवल स्थानीय प्रभाव से कुछेक जगह हल्की से मध्यम वर्षा हो सकती है।
किसानों को है अकाल की आशंका
कमजोर मानसून से छत्तीसगढ़ के किसानों की हंसी नदारद है। उनके चेहरे पर चिंता की लकीरें दिखाई दे रही हैं। उन्हें अकाल की आशंका है। किसानों का कहना है कि पूरा खेत सूख गया है। आने वाले दिनों में बारिश नहीं हुई तो स्थिति और भी खराब हो जाएगी और पूरी फसल बर्बाद हो जाएगी।
किसानों ने भी माना कम बारिश के चलते पानी की कमी हो रही है। इस वजह से कुछ काम भी नहीं हुए। सभी काम रुक गए है, सरकार पानी देगी तो बहुत अच्छा है, नहीं देगी तो किसानों का जीना मुश्किल हो जाएगा। बारिश न होने की वजह से तो पहले ही परेशानी है, दूसरी ओर खाद की कमी से पहले ही जूझ रहे है. सरकार को हमारी स्थिति पर ध्यान देना चाहिए।
स्थानीय प्रभाव से हल्की बारिश भर
मौसम विज्ञानी के अनुसार वर्तमान में अभी कोई सिस्टम जनरेट नहीं हो रहा है। आने वाले कुछ दिनों में नए सिस्टम बनने के आसार भी नजर नहीं आ रहे है। स्थानीय प्रभाव की वजह से एक-दो स्थानों पर बारिश हो सकती है, लेकिन सिस्टम की वजह से बारिश होने की उम्मीद नजर नहीं आ रही है। किसानों के लिए कोई राहत की बात नहीं है। छत्तीसगढ़ में केवल सुकमा में एक्सेस बारिश हुई है। 12 जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है और 14 जिलों में सामान्य बारिश हुई है।
जुलाई-अगस्त में मॉनसून पर ब्रेक
मॉनसून में पहला ब्रेक जुलाई में दिखा और अगस्त के पहले पखवाड़े के दौरान भी दक्षिण-पश्चिम मॉनसून में दूसरा ‘ब्रेक मानसून फेज आया. कमजोर मॉनसून के कारण पूरे भारत में सीजनल बारिश की कमी अगस्त के दूसरे पखवाड़े तक 9 प्रतिशत पर आ गई। सामान्य से कम मॉनसून की स्थिति में अब तक सुधार नहीं हुआ है।
सिर्फ सुकमा में हुई अच्छी बारिश
सुकमा छत्तीसगढ़ का एकमात्र जिला है जहां अच्छी वर्षा हो रही है। यहां अब तक 1087.4 मिमी बारिश हो चुकी है, जबकि औसत वर्षा 654.7 मिमी है। मौसम विज्ञानियों का कहना है कि सुकमा में स्थानीय भौगोलिक परिस्थितियों के कारण अधिक वर्षा हुई है, जबकि बस्तर, दंतेवाड़ा और कांकेर में बहुत कम पानी मिला है।
1 जून से 22 अगस्त तक औसत वर्षा
- सुकमा में1087.4 मिमी
- बालोद में 501.0 मिमी
- सरगुजा में 620.9 मिमी
- सूरजपुर में 943.9 मिमी
- बलरामपुर में 775.8 मिमी
- जशपुर में 765.5 मिमी
- कोरिया में 793.1 मिमी
- रायपुर में 620.0 मिमी
- बलौदाबाजार में 729.6 मिमी
- गरियाबंद में 631.5 मिमी
- महासमुंद में 588.9 मिमी
- धमतरी में 639.6 मिमी
- बिलासपुर में 799.6 मिमी
- मुंगेली में 742.3 मिमी
- रायगढ़ में 647.1 मिमी
- जांजगीर चांपा में 779.6 मिमी
- कोरबा में 1085.0 मिमी
- गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही में 865.1 मिमी
- दुर्ग में 683.7 मिमी
- कबीरधाम में 609.4 मिमी
- राजनांदगांव में 561.0 मिमी
- बेमेतरा में 856.8 मिमी
- बस्तर में 735.2 मिमी
- कोण्डागांव में 725.1 मिमी
- कांकेर में 634.6 मिमी
- नारायणपुर में 824.5 मिमी
- दंतेवाड़ा में 788.4 मिमी
- बीजापुर में 809.0 मिमी